शीर्षक:कुछ सकूं दिल को मिले
शीर्षक:कुछ सकूं दिल को मिले
मुझ में तुम ही समाए हो
इश्क में तुमको ही पाया मैंने
न जाने क्यों तुमको ही बसाया दिल में
इसी चाह में कि मुझे
कुछ सकूं दिल को मिले..!
तुम इश्क कर जाना मुझे
तुम संवार जाना मुझे
तुम ही मेरे स्वप्न में बसे हो
रह रह वक्त याद आता है मुझे
कुछ सकूं दिल को मिले..!
मेरी तन्हाई में रहते हो तुम ही
कैसे कटेगी जिन्दगानी मेरी
एक बार खामोशी तोड़ो अपनी
बेचैन बहुत हूँ यादों में तेरी
कुछ सकूं दिल को मिले..!
क्यों बिसराया तुमने मुझको
मैं ही तो प्रेम थी पहला
फिर क्यों तड़पाते हो मुझको
चले आओ तुम अब करीब मेरे
कुछ सकूं दिल को मिले।