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Triveni Mishra

Inspirational

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Triveni Mishra

Inspirational

शीर्षक बनो तुम

शीर्षक बनो तुम

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शीर्षक बनो तुम रचना के

अक्षर बनने में रखा क्या है ?

बनो प्रेरणास्रोत राष्ट्र के

निष्क्रिय रहने में क्या होगा ?


ठान लोगे तुम जो हृदय में

मोड़ दोगे पथ को सहृदय में

छूट जाएगा रास्ता दुःख

अन्धविश्वास की बातों का

निकल पडें रख वीर भाव को

समाज को नयी दिशा देंगे

चुपे सुनने में रखा क्या है?

शीर्षक बनो तुम रचना के

अक्षर बनने में क्या रखा है ?


ना सोचो कि तुम अकेले हो

भीड़ में न किये झमेले हो

जिधर चल दोगे तुम साहसी

राह उधर ही बन जायेगी

काफिला पीछे आयेगा

सभी जगह पद चिन्ह पायेगा

पथ निर्माता बन बढ़े चलो

पीछे हटने से क्या होगा ? 

शीर्षक बनो तुम रचना के

अक्षर बनने से क्या मिलेगा ?

प्रेरणास्रोत बनो देश के

निष्क्रिय रहने से क्या होगा ? 


रखोगे जब मन में हौसला

सब संभव मिलेगा मौका

चलाचल राह में ओ राही !

कर्तव्य पथ में बढ़े साहसी

तू छोड़ना ना मैदान को 

जीत होगी यह ये मान तो 

संघर्ष से न भागें वीर

शीर्षक बनो तुम रचना के

अक्षर बनने से क्या होगा ?

प्रेरणास्रोत बनो देश के

निष्क्रिय बनने से क्या होगा ?



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