सही वक्त
सही वक्त
आज वो दिन है, अभी वो वक्त है
यही वो जगह है, और वही एक बात है
कुछ खास ये दिन, कुछ खास ये वक्त
कुछ खास ये जगह, और खास वो मुलाकात
वक्त के हैं बस सभी मायने
कोई इसे समझ पाए, और कोई न जाने
गर खासियत को खास ना माने
तो उस वक्त की अहमियत को कैसे जाने
हर बात का एक वक्त होता है
हर वक्त का एक अंदाज़ होता है
आंखों में गर नींद नहीं, तो सोया नहीं जाता
दिल में गर प्यार नहीं, तो बयान किया नहीं जाता
शादी के दिन, जन्मदिन नहीं मनाया जाता
मातम के दिन, जशन नहीं मनाया जाता
वक्त ही तो वो खास होता है
जिसके हिसाब से सब जाहिर किया जाता है
कब कहां क्या कहना है, हिसाब नहीं रखना है
कब कहां कैसे भाव हैं, ख्याल तो रखना है
गर तुमसे प्यार है तो, प्यार का ही एहसास हो
बेवक्त के भावों से तकरार तो न जाहिर हो
तोहफे के साथ मुस्कुराहट और अपनेपन का एहसास हो
जो देने और लेनेवाले के दिलों में कुछ ख़ास हो
सही वक्त पर सही भाव का अंदाज ही कुछ और है,
शुक्रिया के साथ मुस्कुराहट और प्यार का ही तो रिवाज़ है।
