STORYMIRROR

Rajeet Pandya

Abstract

3  

Rajeet Pandya

Abstract

शहर

शहर

1 min
13.7K


कल की खबर थी कि तुम शहर हो गए,

दिल के अरमान जो थे दिल में ही रह गए,

कौन कहता है कि खो गयी है वफ़ा,

हम वहीं है जहाँ तुम छोड़ के आ गए|

पानी नादियों का अब छलकता नहीं,

किनारो पर अब ठहरता नहीं,

बंद हुई मछलियों की वो मस्तियाँ

अब शिकारी किनारे पर आता नहीं|


Rate this content
Log in

More hindi poem from Rajeet Pandya

Similar hindi poem from Abstract