शहीदों के नाम
शहीदों के नाम
नमन करती है लेखनी,
आज शहीदों के नाम।
कैसे लिखे उनकी कहानी,
हुआ था कैसे छाती छलनी।
उफ़ तक किया नहीं,
डटे रहे सीमा पर प्रहरी।
चैन से हमें सुलाकर,
जान गँवा देते बलिदानी।
नमन है उस कोख को,
जिसने जन्म दिया ऐसे शूरवीर को।
वतन पर क़ुर्बान फ़ौलादी रूह को,
तिलक लगा विदा करती खून को।
नमन है उस धरा को,
चरण पड़े जहाँ कर्मवीर का।
रक्त से सिंचित है मिट्टी,
सोया है सैनिक उसकी गोद में।
नहीं लेखनी में दम मेरी,
चुका नहीं सकती क़र्ज़
उस चट्टानी जिगर का
जो लाज बचाए तीन रंग का।