शहीद
शहीद
दिलों को जीतने का दिल मे,अरमान बाकी हैं
अपनी मातृभूमि पर करना,अभिमान बाकी है
पास आके देख जरा ,मेरे लहू के रंग
तो पाओगे हर कतरे मे,हिंदुस्तान की झाँकी है।
जिसने लड़ी हमारी, जंग- ए- आजादी
वतन पे सहर्ष लगा दी,जान की बाज़ी
खुद चूमकर पहने,फांसी के फंदे
और दफ़न हो गए, बिन मुखाग्नि कफ़न के
अगर ढूंढोगे उन रणबाकुरों की कहानी तुम,
तो पाओगे हर तिरंगे मे ,निशान काफी हैं।
सरहद पर करते हैं, निर्वाध निगेहबानी
अपने जननी की खातिर, देते हैं कुर्बानी
खुद जागकर सबको, चैन- ए- सुकून देते हैं
जिनकी वजह से हम, बेफिक्र सोते हैं
उनकी हर शहादत का लेना, हिसाब बाकी है।
हर शहीद का करना, हमे सम्मान बाकी है।
माटी की शान में, वो कुछ भी करते हैं
अंदर- बाहर के दुश्मन से ,दिन-रात लड़ते हैं
कुछ कायर दहशतगर्द ,गुनाह- ए-ना'पाक करते हैं
आते- जाते,
सोते,निहत्थे
हमारे शूरवीरों पर छुपकर ,घात करते है
उन देशद्रोहियों का ,मुकम्मल इंतज़ाम बाकी हैं।
हर जाबाज को देना पूरा , सम्मान बाकी है।।
जय हिंद !
