शेर
शेर
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वो दिलाएगा यकीं अपनी मुहब्बत का तुम्हें
तुम भी करना एतबार उसका जहां तक हो सके
याद है अब भी पलट के देखना वो दूर तक
जाते-जाते बार-बार उसका जहां तक हो सके