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Bindiya rani Thakur

Abstract

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Bindiya rani Thakur

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शब्दों के मोती

शब्दों के मोती

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शब्दों के मोतियों को कागज पर समेट रहे हैं 

हम आज -कल कविता लिखना सीख रहे हैं 


मन के बिखरे ख़्यालों को नई शक्ल दे रहे हैं 

कोरे कागज़ पर नई-नई इबारत लिख रहे हैं 

  

सुन्दर अल्फ़ाजों को कागज पर उकेर रहे हैं 

दिल पुरसुकून हो गया है, जबसे लिख रहे हैं 


 


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