शौच मुक्त नहीं सोच मुक्त भारत
शौच मुक्त नहीं सोच मुक्त भारत
स्वच्छता पसंद है देखना,
करना जैसे चढ़ना पहाड़।
शौच मुक्त का सपना है,
सोच मुक्त क्यों हो रहा है।
मेरा भारत, अपना भारत
गंध (मूत्र) युक्त क्यों हो रहा है।
सफाई करता मिले जो कोई,
मोदी उपाधि मुफ्त मिले।
स्थापना करना कचरे की,
मूर्ति स्थापना सा अब लगे।।
माता कहते धरती को,
कूड़े से शोभा बढ़ाते हो।
कभी पॉलिथीन कभी काँच,
कभी पॉलिथीन कभी काँच
रोज़ नये नये आभूषण
पहनाते हो
माता गंगा भी है तुम्हारी,
मूत्र विसर्जन करते हो।।
वो शिक्षा क्या जो ज्ञान न दे,
वो काम ही क्या जो मान न दे।।
ये जो हवा में गंदगी है,
सब अपनी ही तो बंदगी है
सोच बदलो, देश बदलो
"शिवा" कहे सब बदलेगा फिर।
माँ कहना कोई एहसान नहीं,
सेवा कर अर्थ सम्पूर्ण करो।।
