Pinky Shah
Drama
रिश्तों की महफिल में,
मुझे मिला एक रिश्ता,
नाम नहीं था कुछ भी उसका,
पर बन गया मेरे लिये ज़िन्दगी वो।
" एक सलाम माँ...
कामयाबी
शायरी
शायद
इनायत
महफ़िल - ए - श...
रब से दुआ
देव जी
सीख लिया है.....
घर का पूरा बोझ उठाओ सबके मन का खाना पकाओ घर का पूरा बोझ उठाओ सबके मन का खाना पकाओ
मेरे नज़र तुझ से मिली और, प्यार की ज्योत ज़ल गई। मेरे नज़र तुझ से मिली और, प्यार की ज्योत ज़ल गई।
मेरे घर का गुलशन, सितारा है बेटी। सच में मिहीका है, बेटी मेरी ।। मेरे घर का गुलशन, सितारा है बेटी। सच में मिहीका है, बेटी मेरी ।।
वो अपना जी पत्थर कर लेते हे, जब सामने तुम्हारी तस्वीर हो। वो अपना जी पत्थर कर लेते हे, जब सामने तुम्हारी तस्वीर हो।
जहां साफ सुरक्षित होता है पर्यावरण l वहाँ सुरक्षित रहता हर प्राणी का जीवन l जहां साफ सुरक्षित होता है पर्यावरण l वहाँ सुरक्षित रहता हर प्राणी का जीवन l
तुम्हें जाना है तो चले जाओ, मैं रोकूंगा नहीं, जाते वक़्त तुम्हें, मैं टोकूंगा भी नहीं तुम्हें जाना है तो चले जाओ, मैं रोकूंगा नहीं, जाते वक़्त तुम्हें, मैं टोकूंग...
पहला क़दम चला था मेरी उंगली पकड़कर पल भर में कमबख्त यार मेरा बड़ा हो गया। पहला क़दम चला था मेरी उंगली पकड़कर पल भर में कमबख्त यार मेरा बड़ा हो गया।
रिश्ता बनाए रखने के लिए प्रेम जरूरी है प्रेम जीवन का आधार है रिश्ता बनाए रखने के लिए प्रेम जरूरी है प्रेम जीवन का आधार है
सब मर जाता है खुद ही रोज़ होती है मुलाकातें जब सब मर जाता है खुद ही रोज़ होती है मुलाकातें जब
काफी अजीब सा है ये रिश्तों का सिलसिला, काफी अजीब सा है ये रिश्तों का सिलसिला,
मेरे अंदर उफनता इक जुनून है, पागलपन है जो उड़ा कर ले जाते है मुझे हर पल मेरे अंदर उफनता इक जुनून है, पागलपन है जो उड़ा कर ले जाते है मुझे हर पल
दो दुकानदार यूं ही खुद में उलझ पड़े बे मतलब की बात पर आपस में लड़ पड़े दो दुकानदार यूं ही खुद में उलझ पड़े बे मतलब की बात पर आपस में लड़ पड़े
फिर उसी मोड़ पर हम मिलेंगे तुम्हें, गर मुमकिन हुआ, गर मुमकिन हुआ। फिर उसी मोड़ पर हम मिलेंगे तुम्हें, गर मुमकिन हुआ, गर मुमकिन हुआ।
फिर उस बात को मैं रेत पर लिखने लगा, फिर उस बात को मैं रेत पर लिखने लगा,
बातों को भूलकर मिल दिल से, मुझे मुंह मोड़ना नहीं है... बातों को भूलकर मिल दिल से, मुझे मुंह मोड़ना नहीं है...
सदियों से मैं तड़प रहा हूँ, आ के तड़प मेरी दूर करना सदियों से मैं तड़प रहा हूँ, आ के तड़प मेरी दूर करना
भोली सी मुस्कान बन सबके अधरों पर छा जाऊँ l मन के किसी कोने में दबी ये अभिलाषा है l भोली सी मुस्कान बन सबके अधरों पर छा जाऊँ l मन के किसी कोने में दबी ये अभिलाषा...
कश्ती मेरी समंदर से बिगड़ा करे हम किनारे पे पहरा दिए जा रहे है कश्ती मेरी समंदर से बिगड़ा करे हम किनारे पे पहरा दिए जा रहे है
पुत्र को पिता पहाड़ जैसे लगने लगता है ।। पुत्र को पिता पहाड़ जैसे लगने लगता है ।।
कहीं अधीरता से तो सरल काम भी होते नहीं जिसके हौसलों में जान, वो हार को समझे, कहीं अधीरता से तो सरल काम भी होते नहीं जिसके हौसलों में जान, वो हार को समझे,