STORYMIRROR

Pinky Shah

Abstract

2  

Pinky Shah

Abstract

" एक सलाम माँ के नाम "

" एक सलाम माँ के नाम "

1 min
2.9K


बहोत सारी दुआएँ कबूल होती तब जाकर ईन्सान को माँँ के ज़रिये जन्म लेने का अवसर मिलता है।

इस धरती पर मुझे लाने के लिए उठाये हैं माँ ने हजार कष्ट तब मुझे मिला हे मानव बनकर जीने का इष्ट.


उंगली पकडकर चलना सिखाया हे जब भी मुझे तकलीफ होती थी माँ ने सीने से लगाया था मुझे. जन्म लेने पर सबसे पहेले माँ को देखा था मैंने

बोलना सीखा जब मैने "माँ"को पुकारा था मैने.


कदम कदम पर मैने माँ को अपनी तहेनात में पाया हमने.

सारी उम्र न्योछावर करती माँ को "ईश्वर"से अधिक माना हमने।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract