शाख से पत्ते टूटे हैं
शाख से पत्ते टूटे हैं
शाख से पत्ते टूटे हैं
उन्हें बिखरने दो
हवाओं की बेवफाई में
वफादारी ढूंढने निकले थे
कुछ रंजिशें पोशीदा - सी थीं,
इसीलिए वक्त रहते ही पत्ते बिखर गए
वरना फरियादें तो बहुत - सी थी,
लेकिन, कैसे करते हाल - ए - दिल बयां
उन पत्तों को पेड़ से मोहब्बत जो हो चुकी थी...।।