सफ़र
सफ़र
तन भी ढोना है मन भी ढोना है ,
ज़िन्दगी का सफर ऐसे ही होना है ,
हमें चलते और बस चलते ही रहना है ।।
जितनी ज्यादा ख़्वाहिशे बोझ उतना है ,
जीवन जीने का नज़रिया अपना अपना है
अपने कर्मों का बोझ ख़ुद को ही उठाना है ।
नज़ारा दिखने में तो जन्नत नज़र आ रहा है ,
प्रकृति का चरम सौन्दर्य कहर बरपा रहा है ,
पर बोझ दबा मानव अपनी विवशता दर्शा रहा है ।।
बर्फ़ का आवरण राह में रोड़े अटका रहा है
लक्ष्य प्राप्ति में अतीव अड़चन पैदा कर रहा है ,
पर पापी पेट की खातिर इंसां चलता जा रहा है ।