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harishankar shukla

Romance

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harishankar shukla

Romance

सदके हुआ जाता है दिल

सदके हुआ जाता है दिल

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सिर्फ इतनी बात पर,

सदके हुआ जाता है दिल।

जिससे मिल जाती है नजरें

उससे मिल जाता है दिल।।


इश्क की दरिया में देखो,

अब बहा जाता है दिल।

तैरती जाती है नजरें,

डूबता जाता है दिल।।


इश्क की माशूक़ पर,

जब भी पड़ती है नजर।

आंखें करती है खता,

जख्मी हुआ जाता है दिल।।


नूर पर तेरी मुझे,

मजबूर हो कहना पड़ा।

अब तो आ जाओ मेरे,

टुकड़े हुआ जाता है दिल।।


इश्क की गलियों में हम, 

आगे को बढ़ते ही गए।

ढूंढा तुम्हे पाया न गर,

तो पागल हो जाता है दिल।।


आए जो तुम तो हुआ क्या,

दुनिया से नफरत हो गई।

तुम गए तो देखना फिर,

घायल हो जाता है दिल।।


इश्क से मिलकर कहूं तो,

मैंने पाया है जहां।

इश्क जो रूठा तो,

सीने से निकल आता है दिल।।


मिली तुमसे नजरें तो,

जन्नत की खुशियां देख गई।

तुमने जो पलकों को ढका,

तो अंधा हो जाता है दिल।।


तुमने जो मिलने को कहा, 

गुलशन मेरे खिलने लगे।

तेरी एक मुस्कान पर,

हंसता ही जाता है दिल।।


तू गर चलने की सोचे तो,

फिजाओं में है गम छाता।

मिल करके तू गया तो फिर,

रोता ही जाता है दिल।।


सिर्फ इतनी बात पर,

सदके हुआ जाता है दिल।

जिससे मिल जाती है नजरें,

उससे मिल जाता है दिल।। 


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