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Ms. Nikita

Abstract

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Ms. Nikita

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सड़क

सड़क

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मुझे मानव ने बनाया है

स्वयं ही लाभ में लाया है

मैं मानव निर्माण की अधिकारी हूँ

स्वयं में ही कर्मकारी हूँ।


मानव की मैं स्वामिनी हूँ

उसके वाहनों की अंतर्यामिनी हूँ

मुझसे ही स्वदेश का मान है

मुझसे ही नवसंधान है।


मुझे मानव से ही प्रेम है

अनुभूति के सरोवर में आशा की ही सेम है

मानव परंतु लालच का अधिकारी है

मेरी सरोकार का आभारी है।


इस लालच ने अनंत जीवों

का संहार किया है

परंतु स्थान मेरा समवत् है

एवं मेरा ही सभी को सहारा है।


मैं आत्मगर्वित हूँ॥


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