सच्ची प्रीत।
सच्ची प्रीत।
सच्ची प्रीत है तुमसे हमने जोड़ी,
घर छोड़ा, दुनिया छोड़ी, मैंने हर मर्यादा तोड़ी।
जो तुम बादल हो तो मैं हूं मोरा,
चांदनी तुम हो तो मैं हूं चकोरा।
तुम हो दीपक तो मैं तेरी बाती,
तुम हो तीर्थ तो मैं तेरी आरती।
जहाँ-जहाँ जाऊं तुमको ही निहाँरू,
तेरे आने की लालसा में रास्ता बुहारूं।
तुम्हारी याद में कटें दिन रातें,
सच्ची प्रीत करने वाले ही आंसू बहाते।