"सच्चाई"
"सच्चाई"
जीना दुश्वार हुआ जाता है,
मरना आसान हुआ जाता है।
खाली बर्तन सी है दुनिया दिल की,
दर्द का उभार हुआ जाता है।
जलती हैं आँखें जैसे धूमिल सी,
जीवन ज्यूँ खार हुआ जाता है।
उम्र लंबी सड़क संघर्षों की,
चलना बेज़ार हुआ जाता है।
मौत सच्चाई है आखिर तय है,
मरकर ही पार हुआ जाता है।
