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SUMAN ARPAN

Inspirational

4.0  

SUMAN ARPAN

Inspirational

सच और झूठ

सच और झूठ

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सच और झूठ 

जीवन के दो रूप

एक सुंदर और एक कुरूप !

काँटों से भरी है सच की डगर 

पनघट यह झूठ की, मृगतृष्णा फूलों की

देख ले एक नज़र जाना है तुझे किधर

सच और झूठ....


झूठ वो नक़ाब है हर तरफ़ ही

दाग ही दाग है

यह सच सागर की सीप है 

उतरना पड़ता गहराई में ,

पर मोती मिलते ज़रूर है!

सच और झूठ.....


झूठ के सफ़र की नहीं है मंज़िल कोई,

पैसे की इस दौड़ में ना इंसानियत कोई!

पैसा माँ बाप और ईमान है ,

आदमी की नहीं कोई अपनी पहचान है!

सच और झूठ....


सच तो मानवता का नाम है,

सच तो भगवान की भी पहचान है!

झूठ की है घड़ी, अंत में मुश्किल बढ़ी!

सच की है परीक्षा कड़ी ,अंत में सुखद घड़ी!

सच और झूठ....


देख ले इक नज़र जाना है तुझे किधर!

लौट ना पाएगा कभी झूठकी राह से 

पाएगा मंज़िल फिर तू सच की तलाश से.....



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