Shrutika Sah
Abstract Romance Fantasy
सभ्यता.......
से प्रचुर समाज में
सहजता की खोज
पर निकले.......
दो असहज से प्रेमी
पहुँच जाते है,
साहित्य तक!!
गिरना!!
कुछ बेहतरीन क...
भारत के मानचि...
बोझिल हृदय
पढ़ सकूँ कोई क...
सबसे बुद्धिमा...
परचम बन जाता ...
सभ्यता तक!!
रत्नगर्भा याद...
अभी बाकी था !
मुफ्लिसी तेरा नाम कुछ और है। और तुम्हे कहते कुछ और हैं।। मुफ्लिसी तेरा नाम कुछ और है। और तुम्हे कहते कुछ और हैं।।
आज ना आसमान में तारें दिख रहे ना कहीं चांद दिख रहा। आज ना आसमान में तारें दिख रहे ना कहीं चांद दिख रहा।
मुसाफिर के लिए तपती धूप में साया हैं मुसाफिर के लिए तपती धूप में साया हैं
मैं वह किताब हूं जिस के पन्ने फड़फड़ाते हैं। मैं वह किताब हूं जिस के पन्ने फड़फड़ाते हैं।
खुद की किस्मत बदल नहीं पाते, दूसरों की बदलने की कसमें खाते, खुद की किस्मत बदल नहीं पाते, दूसरों की बदलने की कसमें खाते,
वर्तमान को प्रभावित करती अतीत की परछाइयाँ। वर्तमान को प्रभावित करती अतीत की परछाइयाँ।
आदर करो, स्वीकार करो..... मन बहुत कोमल है। आदर करो, स्वीकार करो..... मन बहुत कोमल है।
अद्भुत उनका वेश, गजब था ताना बाना। अद्भुत उनका वेश, गजब था ताना बाना।
मेरी सारी उम्र बीत गई मेरी सारी उम्र बीत गई
चहूँ दिशाएँ महकाती वह चंचल पवन चहूँ दिशाएँ महकाती वह चंचल पवन
जीवन में दोस्त की जगह बड़ी ख़ास है जीवन में दोस्त की जगह बड़ी ख़ास है
धीरे धीरे फिर यूँ आंखों से शरारत करता हूँ। धीरे धीरे फिर यूँ आंखों से शरारत करता हूँ।
तुम्हारा रोशनी तुम जीवन में अपने करते रहो.! तुम्हारा रोशनी तुम जीवन में अपने करते रहो.!
माँ और संतान का रिश्ता है अनमोल माँ और संतान का रिश्ता है अनमोल
कभी तो आओगे, पढ़ोगे तुम, अपना ही लिखा इतिहास, कभी तो आओगे, पढ़ोगे तुम, अपना ही लिखा इतिहास,
हस्ती जता रहे। बाकी कितने अभी और ढकोसले। हस्ती जता रहे। बाकी कितने अभी और ढकोसले।
अपनी माँ की तबीयत हूँ मैं इज्जत हूँ अपने पापा की. अपनी माँ की तबीयत हूँ मैं इज्जत हूँ अपने पापा की.
मेरी नन्ही सी गुड़िया, बड़ी हो रही है, तू। मेरी नन्ही सी गुड़िया, बड़ी हो रही है, तू।
कैसे पहचान लेती हो ?.. माँ कैसे पहचान लेती हो ?.. माँ
अपने ही खून दे रहे हैं दगा, दूसरों को कैसे हम कहें सगा, अपने ही खून दे रहे हैं दगा, दूसरों को कैसे हम कहें सगा,