सब ठीक होगा
सब ठीक होगा
वो रोती है
लिपटना चाहती है
गले लगना बाँहों में झुलना
मेरे आने पे रोज ये सब तो करती थी
उसको रोते देखता हूँ
रोता हूँ मैं भी
मैं भी चाहता हूँ
उसके साथ खेलना
हंसना, रोने पे उसके मनाना
दो साल की भी नही हुई है अभी वो
घर आने पर भी
दरवाजे तक रुक जाता हूँ
डरता हूँ, पास जाने से
लड़ता हूँ दो लड़ाइयाँ खुद से और
कोरोना से
उम्मीद करता हूँ
सब ठीक होगा
फिर सब ठीक होगा।