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Amit Kumar

Abstract Romance Inspirational

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Amit Kumar

Abstract Romance Inspirational

सब चलता है

सब चलता है

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किसी ने उसको 

जाने क्या कह दिया

वो मेरे होने के 

एहसास से भी जलता है

कुछ दोस्त है 

मेरे भी उसके भी

जिनका शऊर 

दोनों और चलता है


वो जो भी कहते है

सच ही कहते है

ऐसे कमीने दोस्त है

जो आँखों में आंख डाल

झूठ को सच सा कहते है

बस एक यही ख़याल

मेरे दिल में पलता है


वो मेरी ख़ुशी चाहते हैं

शायद इसीलिए कुछ मुझको

और कुछ खुद को ठगते हैं

यही तो सच्चे रिश्ते हैं

जो मतलब से ही 

कुछ दूर तो चलते हैं


उनकी मेरी ख़ुशी चाहने की तमन्ना में

इन अंधेरों में एक दीपक जलता है

कौन मेरा अपना है

किसका ख़याल न सपना है

जिसकी खातिर तुम

जीना चाहते हो


वही एक जाने कहाँ है

जो तुम को समझ सके

जाने वो कहाँ है

जो है वो तुम्हें चाहिए नहीं

किसको चाहिए जिसको चाहिए

उसको वो ही जाने


जो हमको चाहिए

उसको हम नहीं चाहिए

जिसको हम चाहिए

वो हमको नहीं चाहिए

और जो हमको चाहिए

वो किसी और को चाहिए


बस इसी तरह ठग रही

चाहतों एक दौर चलता है

किसी ने उसको 

जाने क्या कह दिया

वो मेरे होने के 

एहसास से भी जलता है।


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