STORYMIRROR

Pankaj Priyam

Classics

3  

Pankaj Priyam

Classics

सावन की पुकार

सावन की पुकार

1 min
449

कारे कारे बदरा छाए

झूम झूम बरखा आए

मोर, पपीहा नाचे गाए

सुन सावन की पुकार।


लबालब, ताल तलैया

बूंदे करती, ता ता थैया

भींगे सजनी, झूमे सैंया

चले पुरबा की कटार।


खेतों में पानी भर आए

देख कृषक मन हर्षाए

मेंढ़क क्या खूब टर्राए

सब गाए, मेघ मल्हार।


हरियाली मन बहकाए

फूलों से तन महकाए

बागों में झूले लगवाए

सजनी सोलह श्रृंगार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics