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सावन की पुकार

सावन की पुकार

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कारे कारे बदरा छाए

झूम झूम बरखा आए

मोर, पपीहा नाचे गाए

सुन सावन की पुकार।


लबालब, ताल तलैया

बूंदे करती, ता ता थैया

भींगे सजनी, झूमे सैंया

चले पुरबा की कटार।


खेतों में पानी भर आए

देख कृषक मन हर्षाए

मेंढ़क क्या खूब टर्राए

सब गाए, मेघ मल्हार।


हरियाली मन बहकाए

फूलों से तन महकाए

बागों में झूले लगवाए

सजनी सोलह श्रृंगार।


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