साथ
साथ
तू साथ नहीं अब मेरे, कुछ अधूरा सा लगता है,
हर सच्चा शब्द मच जूठा सा लगता है,
बातें तो बहुत की तुमने मगर बेवाफ़ाई का
हुनर हमनें जनाब आप ही सीखा है।
यु तो न जाते मुह मूड के
पुरी ज़िन्दगी का वादा कर आधे रस्ते मैं
छोडके पलट कर देखना ज़रूर एक बार,
शायद वापस आने की चाह हो जाये कुछ ढूँढ़ते ढूँढ़ते ।
साथ तो चला गया तेरा
बिन निभाए कुछ कसमों की तरह,
बिन कहे हम भी चले जायेंगे एक दिन उस राह पे
जिस राह को हर दम तेरे साथ चलना सीखा था।
