Raksha Gupta

Abstract Romance

4.7  

Raksha Gupta

Abstract Romance

सात वचन प्रिय संग

सात वचन प्रिय संग

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सात फेरों के सातों वचन, 

हम निभायेंगे प्रिय तेरे संग।


करो व्रत, सुनो कथा-पुराण कभी, 

तुम्हारे ही बामांग विराजूं जभीI

यात्रा पर तुम साथ लेना मुझे, 

बिना मेरे देव दर्श करना नहीं।


मिलकर करेंगे देवों को नमन, 

तभी तो निभायेंगे पहला वचन।

सात फेरों..... 


मात- पिता में न भेद करें, 

हों तुम्हारे या मेरे बस सेवा करें।

कुटुंब का हमेशा रखेंगे खयाल, 

मिलकर करेंगे सभी को निहाल।


दाम्पत्य के मानेंगे सारे नियम, 

खुशी से निभायेंगे दूजा वचन।

सात फेरों...... 


युवा हों या प्रौढ़, वृद्ध भी होंगे जभी, 

साथ एक दूजे का न छोड़ें कभी।

मिलकर करेंगे सभी ख्वाब पूरे, 

कोई न छोड़ेंगे कर्तव्य अधूरे।


साथ में खिलायेंगे खुशियों का चमन, 

निभायेंगे तीसरा और चौथा वचन।

सात फेरों..... 


कोई भी हो उलझन बताना मुझे, 

मन में न रखना, न रहना बुझे।

एक दूजे का हम बनेंगे सहारा, 

विश्वास से सजेगा संसार हमारा।


मिलकर करेंगे निर्णय का चयन, 

दिल से निभायेंगे पांचवा वचन।

सात फेरों...... 


नज़र में हो आदर, मन में हो प्यार, 

मस्तिष्क में विराजें सदा शुद्ध विचार।

पराया हो नर या नारी परायी, 

अपनों की तस्वीर ही दिल में समाई।


प्रभु का हो आशीष,करूँ अर्पित सुमन, 

निभायेंगे दोनों अंतिम दो वचन।

सात फेरों.......


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