सारा संसार अपना परिवार
सारा संसार अपना परिवार
हर आँख का सपना हो इस धरा पर
अब सर्व संसार अपना हो इस धरा पर
सुख दुख बाँट के चले परिवार में हम सब
कोई काम न नाट के चले संसार में हम सब
किसी दिल को न ठेस पहुँचे गलती से भी
किसी दिल में न शोला दहके किसी के लिए
अपने चित को विशाल रखो कहते है सभी
चित में प्रेम का ना अकाल रखो अपने कभी
क्या रखा है जात पात को मानने में मेरे भाई
अब तो भलाई सभी की है इसे टालने में मेरे सांई
ये तेरा ये मेरा करते करते यहाँ मर जाएगे सभी
अहम में आकर दुष्ट संस्कारो को स्वाहा कर जाएगे
ले कसम सबका एक मजहब धरती पर कर जाएगे
वसुधैव कुटुम्बकम का एक मात्र धर्म हम अपनाएगे ।
