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Sudhir Srivastava

Tragedy

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Sudhir Srivastava

Tragedy

साँवली सी वो लड़की

साँवली सी वो लड़की

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वो साँवली सी एक लड़की

जिसे जन्म से ही मिली

घृणा, उपेक्षा, तिरस्कार

न दिया किसी ने प्यार, संस्कार

बस नौकरानी बनकर रह गई।

शिक्षा से वंचित बेबस लाचार

जिसने पिता को खो दिया था

जन्म से पहले ही,

दादी तो दादी, माँ ने भी दिए

नश्तर से चुभते वार।

एक दिन वो घर छोड़ 

निकल पड़ी मौत की ओर।

पर ईश्वर की लीला देखिए

मर भी न सकी,

किन्नरों के हत्थे चढ़ गई

उसकी जान बच गई,

उनके जिगर का टुकड़ा बन गई।

अब वो उनकी परवरिश में थी

शिक्षा का प्रबंध हो गया

नव रिश्तों का नव अनुबंध हो गया।

उसकी मेहनत का करिश्मा था

या ईश्वर का न्याय

हर परीक्षा में श्रेष्ठ होती चली गई

आई ए एस पास कर डी. एम. बन गई,

कल तक दुर्भाग्य की मारी

साँवली सी वो लड़की

आज शहर की जुबान पर चढ़ गई।

अपना ही नहीं परिवार जिले, प्रदेश का भी

बड़ा नाम कर गई

देख लो आज वो कितनी बड़ी हो गई। 



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