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Kamaldeep Kaur

Inspirational

4.2  

Kamaldeep Kaur

Inspirational

सांसों की माला

सांसों की माला

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तेरे जग में आने से बनती है,

तेरे जाने से टूटती है,

यह सांसों की माला बड़े ,

कमज़ोर धागे में बंधी है।

हर पल कुछ नए फूलों से महकती है,

कभी कांटों से सजती है,

रिश्तों की मर्यादाओं में,

कोमल कली सी खिलती है,

अपनी ही दुनिया में अनकही है,

यह सांसों की माला बड़े,

कमज़ोर धागे में बंधी है।

कभी बहारों में लहराती है,

कभी पतझड़ का दर्द पाती है,

सांसों की माला हर पल पिरोती,

कुछ नए चाहतों के मोती,

खुशी गमी के कई रंगों के मोती,

हर तरफ खुशियां महकाती है,

टूटने के डर से नहीं घबराती है,

यह सांसों की माला बड़े 

कमज़ोर धागे में बंधी है।

फिर भी हर तरफ खुशियां महकाती है।।।


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