साम्राज्य
साम्राज्य
सूरज का देखो है
अपना ही साम्राज्य
धरती पर फैलाता
वह तो अपना ही राज्य
धरती पर प्रकाश देता
जीवन में उजाला भरता
सुबह की
ओस की बूंदों जैसी
मन में शीतलता भरता
तिमिर को हर कर वह
चारों तरफ उजास भरता
सर्द रातों की ठंडक को
अपनी उष्मा से है हरता ।