साहित्य से समाज का सफर
साहित्य से समाज का सफर
साहित्य समाज का दर्पण ,
साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,
जहाँ जरूरी स्वाध्याय होता है ,
लिखता ऐसा रोता हुआ भी हँसता है ,
भाषा का रखता ज्ञान वह हमेशा ,
अपनी रचना कौशल से भावों को पिरोता है ,
कथानक ,कथावस्तु से करता शृंगार ,
अपने सुस्पष्ट विचारों को बुनता रहता है,
साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,
अपने साहित्य में उन पात्रों का चयन करता ,
जो कई -कई बार सजीव हो उठता है ,
मानवता मनुष्य की वो पहचान है जो ,
करता हमेशा आदर्शों का निर्माण है,
साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,
लगता जैसे किसी व्यक्ति के जीवन का ,
हलफ़नामा है ,
जहाँ मिलती गहराई और प्रेरणा ,
लिखता मन की भाषा जिसमे ,
हर दायित्व का बोध होता है ,
अपने शब्दों से हर भावों को वो पिरोता है ,
साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,