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सोनी गुप्ता

Abstract

4.8  

सोनी गुप्ता

Abstract

साहित्य से समाज का सफर

साहित्य से समाज का सफर

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साहित्य समाज का दर्पण ,

साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,

जहाँ जरूरी स्वाध्याय होता है ,

लिखता ऐसा रोता हुआ भी हँसता है ,


भाषा का रखता ज्ञान वह हमेशा ,

अपनी रचना कौशल से भावों को पिरोता है ,

कथानक ,कथावस्तु से करता शृंगार ,

अपने सुस्पष्ट विचारों को बुनता रहता है,

साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,


अपने साहित्य में उन पात्रों का चयन करता ,

जो कई -कई बार सजीव हो उठता है ,

 मानवता मनुष्य की वो पहचान है जो ,

करता हमेशा आदर्शों का निर्माण है,

साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,


लगता जैसे किसी व्यक्ति के जीवन का ,

हलफ़नामा है ,

जहाँ मिलती गहराई और प्रेरणा ,

लिखता मन की भाषा जिसमे ,

हर दायित्व का बोध होता है ,

अपने शब्दों से हर भावों को वो पिरोता है ,

साहित्य है जहाँ भावों का आना जाना है ,


 



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