ritesh deo

Abstract

3  

ritesh deo

Abstract

सादगी

सादगी

1 min
177


सादगी पसन्द होती हैं एक लड़की... 

हर किसी के ख्वाब को जीती है एक लड़की... 

कभी मुस्कुराती हुई.. 

कभी रोती हुई.... 

कभी हँसती हुई... 


कभी सिसक्ति हुई... 

कभी अकेले में... 

कभी सबके साथ में... 

कभी अपनो के लिए... 

कभी सपनो के लिए... 

कभी दूसरो के लिए... 

कभी अपने लिए... 

सजती और सवरती...

खुश भी रहती हैं... 


सबको खुश रखती है... 

जीती भी है सबकी खुशी के लिए... 

हार भी जाती हैं.... 

अपनो की खुशी के लिए... 

कहती भी बहुत कुछ है... 

पर अपनो से... 

छुपाती भी बहुत कुछ है... 


पर अपनो के लिए.... 

हर रूप में खुद को आजमाती.... 

हर एक रिश्ते को निभाती हैं एक लड़की....

हर पल.. हर दिन खुद को आजमाती है... 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract