STORYMIRROR

Dheerja Sharma

Abstract

3  

Dheerja Sharma

Abstract

साड़ी

साड़ी

1 min
309

आज मीठी सी ठण्ड में

गर्मी का एहसास है।

ऐसा लगता है मानो,

कोई बहुत पास है।।

एक बच्ची ख्यालों में

खिलखिला रही है।

इस आँचल में छुप कर

गुदगुदा रही है।।

ये पल्लू जो मैंने

चारों तरफ लपेटा है,

लगता है किसी नें,

आग़ोश में समेटाहै।।

ख्यालों से लौटी तो,

उदास हूँ,सहमी हूँ।

हाँ !!! आज मैं.....

माँ की साड़ी पहने हूँ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract