रूहानियत दौलत।
रूहानियत दौलत।
"रूहानियत" का तुमने ऐसा पाठ है जो पढ़ाया,
भटकते हुए राही को ,सही रहा है दिखलाई।
नास्तिकता भरे मन में, आस्तिकता की ज्योति है जलाई,
खुदा क्या चीज है ,आँसा तरकीब है बतलाई।
मायूस बना बैठा था, अपने जीवन को लेकर,
ना जाने कब दूर हो गई ,ऐसी विधि है बतलाई।
कितने फरियादी, जो नाउम्मीद हुए हरदम ,
जीने का मकसद की, असली उम्मीद है दिखलाई।
जो कभी सोचा भी ना था, तकदीर ही बदल दी,
जन्मों के प्यासे को ,तुमने प्यास है बुझाई।
मालामाल थे तुम तो ,इस "रूहानियत" की दौलत से,
फिर भी बिना मतभेद के ,सबको है लुटाई।
तालीम जो पाई थी, अपने पीर -ओ- मुर्शिद से,
बिन माँगे ही सब पर, कल्याणर्थ है बरसाई।
नेकी करना निष्काम भाव से, कोई तुमसे सीखे,
पर सेवा कर, गैरों को पता नहीं कब है अपना बनाई।
जीवन ही समर्पित कर दिया, अपने पीर ओ मुर्शिद पर,
" नीरज "तो माली है, जो "रामाश्रम" रूपी बगिया है बनाई।
