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Chandra prabha Kumar

Inspirational

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Chandra prabha Kumar

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ऋतु अलबेली

ऋतु अलबेली

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ऋतु अलबेली

शहतूत पके हैं डालों पर,

अनार फूल लगे हैं शाखों पर,

प्रकृति सब ओर सँवर रही

रंगों में मानव भी डूब रहा। 


भूले अपने दिन भर के काम,

रंग बरसा ,भीगें बन अकाम। 

दो दिन का त्योहार फाग,

मना लो जी भर कर राग। 


फिर लगना है अपने काम,

नव शक्ति ऊर्जा से भर प्राण,

  सब ओर हो रहा नव वर्ष का गान

हम भी झूमें बन इसकी शान। 


  जित देखूँ तित स्याममयी है,

  जित देखूँ तित लालमयी है,

  उसकी ही यह माया फैली,

  सबसे अच्छी ऋतु अलबेली।


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