रसोड़े में कौन था..
रसोड़े में कौन था..
रसोड़े में मैं थी
मेरी तनहाई थी,
रसोड़े में मैंने,
मेरी अलग दुनिया
बसाई थी।
जहां बर्तनों से विभिन्न प्रकार की
संगीतमय धुन बनाती,
संगीतकार मैं थी।
भांप देखकर कड़ाही के तेल का
तापमान बताती,
वैज्ञानिक मैं थी।
इतने आटे में कितनी रोटियां बनेंगी,
झट से अंदाज़ा लगाती,
गणितज्ञ मैं थी।
रसोड़े में रखे राशन को चींटियों
कोकरोच से सुरक्षित करती,
रक्षामंत्री मैं थी।
कोरोना काल में जब
सब घर बैठ गए,
सबको व्यस्त रखने के लिए
मट्ठी और पूरी बीलवाती
रोजगार केंद्र भी मैं ही थी।
कोई पूछे तुमसे
रसोड़े में कौन था,
तो बता देना
रसोड़े में मैं थी।