रँगों का त्यौहार हैं होली
रँगों का त्यौहार हैं होली
बस रंगों का त्योहार है होली
और ढंगों का त्योहार है होली
मिलजुल जाए आपस में सारे
ऐसा यही ईक़ त्योहार है होली
करती फिज़ा ज़वान है होली
बदलतीं हिज़ा इंसान की होली
धरती अम्बर एक सा करती
करती खिज़ा मानसून की होली
खाते सब क्यूँ है भाँग की गोली
करतें उलटी सीधी बात बोली
बेढंगे करतूत से अब अपने
बना दिये त्योहार को बम गोली
ना मत इसको बदनाम करो
बस रंग अबीर के नाम खेलो
ये पर्व है प्यार और उन्नति का
बोली जुआ में ना बरबाद करो।।