रङ्गोत्सव
रङ्गोत्सव
आशाओं के आसमां को,
सजा गई किरण सुनहली।
मधुर मधुर सपनों सी ऋतु है,
रङ्गोत्सव का आगमन है।।
अमराई फिर से बौराई,
गूँज उठी भौंरे की गुन गुन,
कोयल ने भी ली अंगड़ाई,
बहक उठी पायल की रुनझुन।।
रङ्गोली से सजे हुए आंगन,
गली गली बहकी बहकी हैं।
नीले नभ से होड़ ले रही,
रंगों की लहर -लहर है।।
महक रही केसर की कलियाँ,
मोहक मादक गन्ध मदमाती ।।
मन के द्वेष क्लेश सब धुल जाए,
हवा ऐसे स्वर्ण रंग बिखराती।
सब मिल फागुनी राग गाओ,
झूमो नाचो रङ्गोत्सव मनाओ ।।