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साँसों को जिंदगी कहते हैं मैंने मौत से जिंदगी पाई है साँसों को जिंदगी कहते हैं मैंने मौत से जिंदगी पाई है
चाहे जितने सितारे टूटे नभ कभी नहीं झुकता चाहे जितने सितारे टूटे नभ कभी नहीं झुकता
ठंडी -ठंडी आहें भरे दिल बार -बार धीमी -धीमी आंच सा हो खुमार ठंडी -ठंडी आहें भरे दिल बार -बार धीमी -धीमी आंच सा हो खुमार
शमा को जलाने की चाहत तो परवाने को जल जाने की चाहत शमा को जलाने की चाहत तो परवाने को जल जाने की चाहत
कभी साथ दूँ तो कभी दगा देती हूँ मैं ज़िंदगी हूँ। कभी साथ दूँ तो कभी दगा देती हूँ मैं ज़िंदगी हूँ।
दर्द की हद क्या जाने सुई की नोक से तड़पते हैं दर्द की हद क्या जाने सुई की नोक से तड़पते हैं
व्यर्थ बरसने है लगा भय बनकर हलाहल दिव्य जीवन कांप रहा व्यर्थ बरसने है लगा भय बनकर हलाहल दिव्य जीवन कांप रहा
जीवन की सच्चाई को उजागर करती हुई साहित्य की समाज की जान है कविता। जीवन की सच्चाई को उजागर करती हुई साहित्य की समाज की जान है कविता।
सब मिल फागुनी राग गाओ, झूमो नाचो रङ्गोत्सव मनाओ ।। सब मिल फागुनी राग गाओ, झूमो नाचो रङ्गोत्सव मनाओ ।।
मिल आती गर मिलते पंख उधार, कर आती सखी साजन का दीदार।। मिल आती गर मिलते पंख उधार, कर आती सखी साजन का दीदार।।