हीरा
हीरा
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बरसों गुमनाम रहकर
अंधेरों को तन्हा सहकर
चमचम चमक उठा हूँ मैं
मैं हीरा हूँ।
साँसों को जिंदगी कहते हैं
मैंने मौत से जिंदगी पाई है
मरकर जी उठा हूँ मैं
मैं हीरा हूँ।
दर्द की हद क्या जाने लोग
सुई की नोक से तड़पते हैं
मैं छेनी की मार से निखरता हूँ
मैं हीरा हूँ।
जीने का अंदाज़ क्या समझे लोग
कि अना की शह से जीते हैं
मैं अना को मिटा कर सजता हूँ
मैं हीरा हूँ।
टूटन की फितरत है बिखरना
टूट कर भी अस्तित्व नहीं खोना
यही मेरी पहचान, यही मेरा जीना
मैं हीरा हूँ।
