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Neetu Lahoty

Abstract

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Neetu Lahoty

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रिश्तों की दिवाली

रिश्तों की दिवाली

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चलो आज रिश्तों की दिवाली मनाते हैं

कुछ दिये दिल में जलाते हैं

जो छाया है तिमिर मन में

क्षोभ का, दुःख का,

अकेलेपन का उसे भगाते हैं।


मोबाइल पर बहुत निभा लिये रिश्ते

चलो आज किसी के घर चलते हैं 

किसी रोते को हँसाते हैं

किसी का दर्द कम करते हैं

चलो आज रिश्तों की दिवाली मनाते हैं।

 

कुछ पल अपनों के साथ गुजारते हैं

मौसी को लाड लड़ाते हैं

तो भुआ को खुब चिढ़ाते हैं

चलो आज सब भूल कर बच्चे बन जाते हैं

चलो आज रिश्तों की दिवाली मनाते हैं।


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