रिश्तों की दिवाली

रिश्तों की दिवाली

1 min
236


चलो आज रिश्तों की दिवाली मनाते हैं

कुछ दिये दिल में जलाते हैं

जो छाया है तिमिर मन में

क्षोभ का, दुःख का,

अकेलेपन का उसे भगाते हैं।


मोबाइल पर बहुत निभा लिये रिश्ते

चलो आज किसी के घर चलते हैं 

किसी रोते को हँसाते हैं

किसी का दर्द कम करते हैं

चलो आज रिश्तों की दिवाली मनाते हैं।

 

कुछ पल अपनों के साथ गुजारते हैं

मौसी को लाड लड़ाते हैं

तो भुआ को खुब चिढ़ाते हैं

चलो आज सब भूल कर बच्चे बन जाते हैं

चलो आज रिश्तों की दिवाली मनाते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract