रेत
रेत
हाथ से जो छुटी चल रेत ही होगी
कालिख़ दिखती नहीं , चल सफ़ेद ही होगी
ख्वाबों से ही महकता है मेरा कमरा
पेंदी शीशी हक़ीक़त की छेद ही होगी!
हाथ से जो छुटी चल रेत ही होगी
कालिख़ दिखती नहीं , चल सफ़ेद ही होगी
ख्वाबों से ही महकता है मेरा कमरा
पेंदी शीशी हक़ीक़त की छेद ही होगी!