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yogesh verma

Abstract Tragedy Others

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yogesh verma

Abstract Tragedy Others

चटका कांच

चटका कांच

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वो भी अपनी जगह सही है

मैं भी अपनी जगह सही हूँ

शायद जगह गलत होगी

वो भी जुबां की पक्की है

मैं भी वफ़ा के क़ाबिल हूँ

शायद आबो हवा पागल होगी

वो बह चली तिनके के संग

पत्थर भारी या चिकनी सतह होगी

कसक, तड़पन, मोहब्बत

कभी आपस में हम रूठे

कब्र~ए~गुलाब अक्सर

गिर जाते है बिन टूटे


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