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yogesh verma

Abstract

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yogesh verma

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कैसे हुआ

कैसे हुआ

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कोई किसी का कैसे हुआ

वो इसका है ये यक़ीन कैसे हुआ

वो रहती उम्रभर बनके उनकी

जो दरिया बादल बनके फिरता रहा पूरे जहान

समुंदर भी है पागल सोच के वो उसका हुआ।



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