yogesh verma
Abstract
कोई किसी का कैसे हुआ
वो इसका है ये यक़ीन कैसे हुआ
वो रहती उम्रभर बनके उनकी
जो दरिया बादल बनके फिरता रहा पूरे जहान
समुंदर भी है पागल सोच के वो उसका हुआ।
चिट्ठियों की ...
जलता आंसू
kaash
रेत
कैसे हुआ
दिखावा
चटका कांच
अपनो से कोई रिश्ता नहीं है, प्रेम से किसी को वास्ता नहीं है, अपनो से कोई रिश्ता नहीं है, प्रेम से किसी को वास्ता नहीं है,
सारी दुनिया में आज जगह पाते जाते हैं। सारी दुनिया में आज जगह पाते जाते हैं।
सोचना जरा क्यों ढूंढे मुझमें खुशी तेरी मैं तो निर्जीव हूँ ये तुझे बुला रहा.... सोचना जरा क्यों ढूंढे मुझमें खुशी तेरी मैं तो निर्जीव हूँ ये तुझे बुला रहा....
उलझन से उलझ गया जो , बार बार वो उलझता जाए। उलझन से उलझ गया जो , बार बार वो उलझता जाए।
ना कोई परेशानी कभी हो उत्त्पन तुम रहो सदा सर्व सुख सम्पन्न। ना कोई परेशानी कभी हो उत्त्पन तुम रहो सदा सर्व सुख सम्पन्न।
मुख्य सड़क है हिंदी मुख्य ही रहने दे कच्ची सड़कों की चाह में इसका अस्तित्व न नकारें। मुख्य सड़क है हिंदी मुख्य ही रहने दे कच्ची सड़कों की चाह में इसका अस्तित्व न...
सबका हल निकाल लाती है। नारी है नारी का फर्ज निभाती है। सबका हल निकाल लाती है। नारी है नारी का फर्ज निभाती है।
क्यों उखाड़ने हैं तुम्हें ये मुर्दे , गड़े इन्हें अब रहने दो। क्यों उखाड़ने हैं तुम्हें ये मुर्दे , गड़े इन्हें अब रहने दो।
कृपा की मधुर धारा बहती राधे चरणों में राधे करो कृपा ऐसी तन छूटे श्री चरणों में। कृपा की मधुर धारा बहती राधे चरणों में राधे करो कृपा ऐसी तन छूटे श्री चरणों मे...
जो मुझे और मेरी इस कविता को उस के मुकाम तक पहुँचाए।। जो मुझे और मेरी इस कविता को उस के मुकाम तक पहुँचाए।।
हिंदी हमारी शान है ये सारी दुनिया को बता दे। हिंदी हमारी शान है ये सारी दुनिया को बता दे।
और दौड़ पड़ती है रेल जिंदगी की। यह तो होता है दौर जिंदगी का------------------- और दौड़ पड़ती है रेल जिंदगी की। यह तो होता है दौर जिंदगी का-------------------
अन्तर्मन से दुखी होकर जब था मैंने तुझे पुकारा। अन्तर्मन से दुखी होकर जब था मैंने तुझे पुकारा।
सद्भाव का सब में भाव जगाती है भविष्य का पूर्वानुमान है हिन्दी सद्भाव का सब में भाव जगाती है भविष्य का पूर्वानुमान है हिन्दी
मोबाइल की गिरफ्त में कैद हैं। मोबाइल की गिरफ्त में कैद हैं।
और चेहरों पर सेहरा भी ऐसे ही बदलता है इसलिए थोड़ा अपनी सोच भी बदले हम। और चेहरों पर सेहरा भी ऐसे ही बदलता है इसलिए थोड़ा अपनी सोच भी बदले हम।
सजे हुए दरबार तुम्हारे सभी के मन को लुभा रहे है । सजे हुए दरबार तुम्हारे सभी के मन को लुभा रहे है ।
सभी भाषाओं के शब्दों को इसने गले लगाया सभी भाषाओं के शब्दों को इसने गले लगाया
किसके संग हम हंसेंगे कल, क्या हाल दिल का होगा। किसके संग हम हंसेंगे कल, क्या हाल दिल का होगा।
क्यूँकि पता ही नही था मुझे, क्या करना है ... क्यूँकि पता ही नही था मुझे, क्या करना है ...