kaash
kaash
होता जो पत्थर मैं ,
चट्टान बन चुका होता ,,
तेरी यादों की लहरों में
अभी तक छन्न चुका होता
मछली समुंदर की हवा से
बस बात करती है
जमीं पर अगर चलती ,
बवंडर थम चुका होता!
होता जो पत्थर मैं ,
चट्टान बन चुका होता ,,
तेरी यादों की लहरों में
अभी तक छन्न चुका होता
मछली समुंदर की हवा से
बस बात करती है
जमीं पर अगर चलती ,
बवंडर थम चुका होता!