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Ishwar Gurjar

Inspirational

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Ishwar Gurjar

Inspirational

रेखाएं हाथो की खुद ही जोतनी होगी

रेखाएं हाथो की खुद ही जोतनी होगी

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लम्हे खास होने की अदावत में है

तू एक भरी नजर तो देख।


कुछ नया करने की इच्छा दबाए

पांवों से कुरेदते जमी

वक्त सफेद बादलों सा उड़ रहा

मकबूल मौसम कभी रहे तो नहीं


यह दुःख, मायूसी, उसकी शरारत में है

तू एक भरी नजर तो देख।


रेखाएं हाथों की ख़ुद ही जोतनी होगी

कर्मों पर चलाने होंगे, हल

बुनने होंगे रूई से ख़्वाब

यूं ही आखिर पत्ते जड़ नहीं जाते

बगैर नई कोपलों की आहट


यह हार, शिकस्त , पस्त तो किस्मत में हैं

तू एक भरी नजर तो देख।


मछलियां बड़ी, छोटी को,

खा भी तो जाती है

उन पर नहीं लगता धर्म का पाप

कोई अनैतिक भी तो नहीं है, मानता

सदियों से चलन भी तो यही रहा


यह बदलती वफ़ाएं, न्याय के दोहरे मापदंड हकीकत में है

तू एक भरी नजर तो देख।


इसलिए दुविधाएँ कम हो जितनी, सही है

द्वंद्व का चिंतन, अक्सर बेअसर है

सोचते नहीं, रचने वाले,

सुविधानुसार,

विचारधाराओं को प्रस्तावक, बदलते रहते है,

अक्सर जरूरत पड़ने पर,

कूच कर जाते है लश्कर, अपने हिस्से के

साथ सब होते है, मगर न होते साथ कोई


यह एकाकीपन, बिछुड़न तो सफर में है

तू एक भरी नजर तो देख।


इसलिए , रेखाएं हाथों की खुद ही जोतनी होगी।



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