शौक-ए-दिदार अगर है तो नजर पैदा कर!
यह हार, शिकस्त , पस्त तो किस्मत में हैं तू एक भरी नजर तो देख। यह हार, शिकस्त , पस्त तो किस्मत में हैं तू एक भरी नजर तो देख।
पचायेंगे दूसरों की सफलताओं को सहन करना सीखेंगे खुद को पचायेंगे दूसरों की सफलताओं को सहन करना सीखेंगे खुद को
जिंदगी जहां से होती है शुरू ; वहीं मिलती है देवदार के दरख्तों से भी ज्यादा सघन , ज्य जिंदगी जहां से होती है शुरू ; वहीं मिलती है देवदार के दरख्तों से भी ज्यादा सघन ,...
तुम हो मौत के माथे पर ज़ुल्फ़ जैसी तुम हो बँटे हुए, मेरे मुल्क जैसी ऐ ज़िन्दगी मेरी तुम कैसी हो री? तुम हो मौत के माथे पर ज़ुल्फ़ जैसी तुम हो बँटे हुए, मेरे मुल्क जैसी ऐ ज़िन्दगी मेरी...