रातें
रातें
कभी रातें इतनी तन्हा हो जाती हैं
तो कभी दिन भी खामोश गुजरते हैं..
याद तेरी जब आती है मेरी आँखों से आँसू झरते हैं
दिल तड़पता है तेरी आवाज सुनने को
मेरे दिल को जो सुकून दे कुछ तेरी मेरी वो बात हो
मैं कैसे तुझे समझाऊँ कि मेरे मन के हालात कया हैं
कि बिना बोले भी तुम समझते कब हो
कभी तो यह रातें बस आखों में ही कट जाती हैं
और दिल को तेरी याद बहुत आती है
कैसे इस मन को समझाऊं मैं
कब तक अपने ही दर्द को छुपा कर हँसती रहूँ मैं।