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Shweta Maurya

Abstract Tragedy Others

4.3  

Shweta Maurya

Abstract Tragedy Others

रास्ते

रास्ते

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रास्ते कठिन हैं इस जग में,
जीवन में खूब चकबंदी की है मानव तूने,
इस जग में,
जीवन बनाया है ईश्वर ने,
जैसे जलेबी सा मीठा,
रास्तों का एक बगीचा।

एक दिन वो आयेगा,
जब रुक जाना है सबको,
एक पल ठहर जाना है सबको,
एक दिन।

फिर क्या खोजते हो इस दुनिया में,
यूँ ही सरल रास्ते।

क्या खूब कहा है इस जग ने,
नहीं मुमकीन है साथ जाना इस जग से,
फिर साथ क्यों ढूँढते हो तुम,
हर पल इस जग में।

विचारों की क्रिडायें कौंधति इस मन में,
व्यथा यही है किसके साथ मैं बाटू,
मेरे जीवन की ये लीला,
लगा है मानो मस्तिष्क में व्यथाओं का मेला ।

व्यथा सुनने और सुनाने में रोडे बहुत हैं,
नहीं अशक्ति किसी की इनको सुनने में,
फिर भी ढूढ़ते हैं इस जग में सुनाने को,
है चाहिए साथ बस इतना।

फिर भी रास्तों में बदल जाते हैं लोग इस जग में,
रास्ते चलते चलते,
हर मोड पर छूटा है साथ हर किसी का,
रास्ते बदल जाते हैं हर किसी के साथ चलते-चलते।

कदम दर कदम बदल जाते हैं साथ हर किसी के, यूँ रूप बदलती जिंदगी की छाओं में,
क्या खूब कठिन रास्ते हैं,
जीवन के बगीचों में।

ठहर जाओ जब रूप बदल रही जिंदगी,
इस मोड पर बगीचों में हर किसी के जीवन में फूल नहीं,
सच हो ये दुआ की,
हर किसी के जीवन में फूल खिलें इस जग में।

बैरी बन बैठे हैं एक दूजे के इस जग में, 
युद्ध त्रासदी से नहीं डरते हैं,

भावी युद्ध के लिये भावी जैविक हथियार बनाने की जुर्रत करते हैं,
ईश्वर से नहीं डरते हैं,
आधुनिकता की होड में,
मानवता से दानवता की ओर कदम बढ़ाया है।

रास्ते खोजते-खोजते स्वयं ही,
उन्हीं रास्तों में खुद को दफन पाएंगे एक दिन।

फिर क्या ढूढ़ रहे , इस जग में आकर,
यूँ ही जीवन को सरल बनाने के रास्ते।

ए मानव तू खुद को खुदा बनाने के चक्रव्यूःह में खुद ही फंस चुका है,
जीवन के बगीचों में,
फिर क्यों ढूढ़ रहे सरल रास्ते।
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