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Shweta Maurya

Abstract Children Stories

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Shweta Maurya

Abstract Children Stories

बच्चों के घर चिड़िया

बच्चों के घर चिड़िया

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हम बच्चों के घर चिड़ियां आती,

खूब गीत सुरीले गाती हैं,

मन उपवन को अपने कलरव से सजातीं हैं,

सूरज चढ़ने के साथ ठंडी में भी नहाती हैं।

नहाकर डाली-डाली चह चहचहाती हैं ,

और ऐसे पंखों को अपने सवारतीं हैं,

मानो श्रृंगार में अपने व्यस्त हो जातीं हैं।

अब आती बारी दाना चुगने की,

छुप-छुप के आती हैं,

की खतरा न हो कोई ।

दाना चुग कर ,

मन प्रफुल्लित कर उड़ जातीं हैं।

पुनः हिम्मत कर दाना चुगने से पहले,

दुश्मन को चुनौती देने को चहचहाती हैं,

नहीं होती कोई प्रतिक्रिया तो दाना जल्दी-जल्दी चुग कर चह चहाती हुई उड़ जाती है,

मानो अपनी विजय गाथा गाती है।

हम बच्चों को संघर्ष से फल पाने का पाठ सिखाती है,

फुर-फुर उड़ जाती है।

पंख फैला आसमां को छूने को जाती है।

वहां से वन उपवन का विहंगम नजारे ले लेकर आती है,

और फिर अपने संगी साथी को,

हाल बता फिर अपने संग लेकर उड़ जाती है।


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