भविष्य उन्मुखी नारी
भविष्य उन्मुखी नारी
क्या? नहीं हुई मैथलीशरण आपकी बात ये पुरानी।
"हाय अबला तेरी यही कहानी, अंचल में है दूध आंखों में पानी।"
था यही भूत,
है यही वर्तमान,
होगा यही भविष्य,
ये किस सोच में है तू नारी।
आशा, तृष्णा ने सब्र है तोड़ा,
हुई भविष्य उन्मुखी नारी!
२१वीं सदी में सशक्तिकरण के पथ पर आशा, तृष्णा ने मन में उम्मीद जगायी है,
होगा भविष्य अपना,
भूत को पीछे छोड़,
वर्तमान में मशाल जलाई है।
है विश्वास, होगी रोशनी चारों ओर,
हम नही मात्र दो घरों को रौशन करने की जिम्मेदार।
हम तो हैं दुनिया की आशा की किरण।
ब्रह्मांड में क्षितिज के नीचे,
धरती मां के आंचल में,
हम खेलेंगे कर्मलीला।
नहीं पुरुष तू एक मात्र कर्मठ,
संसार के दोनों पहियों(स्त्री व पुरुष) की कर्मठता देखेगी दुनिया।
होगी झूठ मैथलीशरण आपकी बात पुरानी,
"हाय अबला तेरी यही कहानी, आंचल में दूध आंखों में पानी।"
चरम पथ पाने को अग्रसर है नारी,
नारी का तेज अब देखेगी दुनिया सारी!
हुई भविष्य उन्मुखी नारी।।