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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Inspirational

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Inspirational

राष्ट्रशिल्पी

राष्ट्रशिल्पी

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स्वीकार करो कृतज्ञ राष्ट्र का नमन 

मानव तन में था छुपा लौहपुरुष मन ।।


अधूरी आजादी खंडित मातृभूमि थी

रियासतों में बिखरी यहाँ राष्ट्रीयता थी

एकता के सूत्र में पिरोया आपने

एकीकृत राष्ट्रीय पहचान दी आपने

आप सरदार भी थे असरदार भी थे

आजाद भारत के शिल्पकार भी थे


स्वीकार करो कृतज्ञ राष्ट्र का नमन 

मानव तन में था छुपा लौहपुरुष मन ।।


राष्ट्रविभाजन था एक मजबूर समझौता

अर्थहीन असंगत अदूरदर्शी समझौता

भारत के बिस्मार्क बन गए आप

राष्ट्रचेतना के पहचान बन गए आप


स्वीकार करो कृतज्ञ राष्ट्र का नमन 

मानव तन में था छुपा लौहपुरुष मन ।।


एकता अखंडता के प्रतीक आप

लिंग विभेद प्रतिरोध प्रतीक आप

सहकारीता के सूत्रधार आप

किसानों के थे विश्वास आप


स्वीकार करो कृतज्ञ राष्ट्र का नमन 

मानव तन में था छुपा लौहपुरुष मन ।।


विरोधी थे आप मूर्ती और स्मारकों के

सत्तालोलुप बने विमुख उन विचारों के

विश्वविशालतम मूर्ति है स्थापित किया

स्टेचू ऑफ यूनिटी उसका नाम दिया

आप न होते तो देश का क्या होता

भारत में अनगिनत पकिस्तान होता


स्वीकार करो कृतज्ञ राष्ट्र का नमन 

मानव तन में था छुपा लौहपुरुष मन ।।


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